विदाई गीत : उत्कर्ष नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष" 05/08/2016 अज्ञात कवि 18 Comments शीर्षक : विदाई गीत हरे हरे कांच की चूड़ी पहन के, दुल्हन पी के संग चली है । पलकों में भर कर के आंसू, बेटी पिता से गले मिली … [Continue Reading...]