पतंग vinod sihag 03/04/2017 अज्ञात कवि 5 Comments तेरे आग़ोश में मै पतंग सा उड़ता रहा,जब तक डोर तूने संभाले रखी.. मै बेख़ौफ़ उड़ता रहा,जब रिश्ते की डोर छूटी तेरे हाथ से..तब ना जमीन मिली, ना मै … [Continue Reading...]