वतन की किस्मत — डी के निवातिया डी. के. निवातिया 28/09/2017 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 14 Comments वतन की किस्मत *** गूंगो – बहरो ने मिलकर महफ़िल सजाई हैमिलजुलकर खाने खिलाने की कसमे खाई हैबारी बारी से बदलते रहते है अपनी कुर्सियांक्या खूब वतन की संसद … [Continue Reading...]