लफ्ज़ फिसलने लगे — डी के निवातिया डी. के. निवातिया 22/09/2017 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 10 Comments :””; लफ्ज़ फिसलने लगे ;””; +*””*.*””* + अधरों के पुष्प कँवल उनके खिलने लगे है !लगता है सनम से अब वो मिलने लगे है !! कुछ तो असर जरूर … [Continue Reading...]