रूह का लिबास – डी के निवातिया डी. के. निवातिया 08/10/2020 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ No Comments रूह का लिबास *** साँसों की गर्म हवा बर्फ सी जमने लगे, लबों से हर्फ़ जर्जर पेड़ से हिलने लगे, रूह ! तुम लिबास बदल लेना उस रोज़, जिस … [Continue Reading...]