जब रातो का अंधियारपन Rahul awasthi 05/02/2017 अज्ञात कवि No Comments जब रातो का अँधियारापन दिन में घुलने लग जाता है।जब जीवन का पल पल भारी हो शूलों सा चुभने लग जाता हैजब दुनिया का ये खेल तमासा बेमानी हो … [Continue Reading...]