रहम कर डी. के. निवातिया 08/11/2016 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 14 Comments अरे ओ जाने वाली हवा, सुन ज़राइन बिखरी यादो को समेट ले ज़राबहुत सताती है ये तेरे जाने के बादवफ़ा के नाते रहम कर हम पर जरा !!!!!डी. के. … [Continue Reading...]