मैं और तुम …….(वर्ण पिरामिड) डी. के. निवातिया 10/08/2016 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 24 Comments मैं और तुम थे उस हंसी रात चांदनी के साये में गुम सोया था सारा जहां चिर निंद्रा की आगोश जैसे चढ़ा काल की भेंट सारा का सारा शहर … [Continue Reading...]