मेरा ठिकाना-5—मुक्तक—डी के निवातियाँ डी. के. निवातिया 17/10/2016 अज्ञात कवि 18 Comments जान लीजिये आज मेरा ठिकाना आपके संग में है वक़्त बिताना दिलबरों की नजरो का नूर हूँ मैं दुश्मनो की नजरो का निशाना [email protected]@@__डी के निवातियाँ[email protected]@@ Оформить и получить … [Continue Reading...]