मेरा ठिकाना-४—मुक्तक —-डी. के. निवातियाँ डी. के. निवातिया 17/10/2016 अज्ञात कवि 14 Comments मैं भक्ति और प्रेम का दीवानाहर एक शै: में है मेरा ठिकानाढूंढने वाले ढूंढ ही लेते है मुझेघट घट रहता बनके रखवाला !!!!!!!!—-डी. के. निवातियाँ—- Оформить и получить экспресс … [Continue Reading...]