मेरा ठिकाना–१०—मुक्तक—-डी के निवातिया डी. के. निवातिया 24/10/2016 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 18 Comments सीना ताने खड़ा रहूँ, हर पल दुश्मन हो निशाना अंत घडी जाये प्राण, लबो पे हो जयहिंद का नारा चाह नही मुझे किसी, धन दौलत या शोहरत की देश … [Continue Reading...]