ग़ज़ल ( शायद दर्द से अपने रिश्ते पुराने लगते हैं) मदन मोहन सक्सेना 18/12/2017 मदन मोहन सक्सेना 2 Comments वो हर बात को मेरी क्यों दबाने लगते हैंजब हक़ीकत हम उनको समझाने लगते हैंजिस गलती पर हमको वो समझाने लगते हैउस गलती को फिर क्यों दोहराने लगते हैंदर्द … [Continue Reading...]