माँ तूझे भूला ना पाया – आलोक पान्डेय आलोक पाण्डेय 25/09/2016 अज्ञात कवि 11 Comments माँ!एक दिवस मैं रूठा थाबडा ही स्वाभिमानी बन , उऋण हो जाने कोतुमसे भी विरक्त हो जाने को,त्यागी बन जाने को !घर त्याग चला कहीं दूर वन कोध्यानिष्ठ हुआ … [Continue Reading...]