मन रुपी मानुष – डी के निवातिया डी. के. निवातिया 16/07/2018 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 10 Comments मन रुपी मानुष.. श्रावण छवि धारण कर ली,मन-मस्तिष्क के घुमड़ते मेघो ने,वर्षा होने लगी है अब,नयनो के समुन्द्र से अश्को की,ध्वंसावशेष के अवयव में,कुछ आर्द्रता का एहसास होने लगा,मृदा … [Continue Reading...]