मगर ये हो न सका shivdutt 18/04/2017 शिवदत्त श्रोत्रिय 14 Comments मैंने एक ख्वाब देखा था, तुम्हारी आँखों मेंहक़ीक़त बन जाये मगर ये हो न सका ||एक कश्ती ले उतरेंगे समुन्दर की बाहों मेंकोई मोड़ न होगा फिर अपनी राहों … [Continue Reading...]