आखिरी मंजिल Nirlaz 19/06/2020 अज्ञात कवि No Comments हाँ मैं राही हूँ, इक भीड़ भरी राह का….पर इस राह पे शायद मेरी मंजिल नहीं है…न जीने की वजह, न चलना ही सजा….शायद मेरे सीने में, दिल नहीं … [Continue Reading...]