दूसरा पिता वृक्ष……………………….. काव्य विनय भारत शर्माजबलगाया था उसे कहाँ पता थाआज होगा बड़ाइतना देगा फल फूलपात्तियाँकाशदादा होते आजदेखकरउसे कहते”बड़ा हो गया है मेरा बेटा”कितनी ही मेहनतसे लगाया थाउन्होंनेये सपनाचिलचिलातीधूप में देकर पानीबचाई उसकी जानदिया था …