बुढ़ापा सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 08/07/2016 सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' 37 Comments जवानी गई, आगया बेरहम बुढ़ापा बुढ़ापा, बुढ़ापा, बुढ़ापा, बुढ़ापा!! जिन्दगी शुरू हुई थी बचपन से खत्म सी लगती है अब तन से वर्जिश होती थी जहाँ शाम सवेरे कापती … [Continue Reading...]