प्रेम की लौ – डी. के. निवातिया डी. के. निवातिया 15/06/2018 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 8 Comments कोई कली जब फूल बनकर महक उठती है,उसे देख तबियत भंवरे कि चहक उठती है,महकने लगता है अहले चमन खुशबू से,सूने दिल मे भी प्रेम की लौ दहक उठती … [Continue Reading...]