पायल – डी के निवातिया डी. के. निवातिया 10/07/2018 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 8 Comments “पायल” *** तुम जितना धीरे चलती हो, पायल उतना शोर करती है !धड़कने दिल कि बहक जाती है, ये गज़ब का जोर करती है !! रह-रहकर यूँ सताती है, … [Continue Reading...]