डूब गया दिन श्रीधर आचार्य ‘शील’ 04/04/2017 अज्ञात कवि 1 Comment लहरों में डूब गया दिन दो पल के सपने गिन–गिन | डाल–डाल पर बिखरे पत्ते मौसम की गंध के लिए जागे हैं अब सोए चेहरे अपने अनुबंध के लिए … [Continue Reading...]