नूर हूँ मै – डी के निवातिया डी. के. निवातिया 30/01/2018 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 18 Comments नूर हूँ मै @ तेरे मुखमंडल की आभा सेप्रज्वलित होता दीप हूँ मैंतेरे ही आशीर्वचनो सेफलीभूत होता आशीष हूँ मैतुम कारक, कारण तुम हीतुम से उपजा बीज हूँ मैतेरी … [Continue Reading...]