ज़िन्दगी ठहरी रही और उम्र आगे चल पड़ी Er Anand Sagar Pandey 03/08/2016 अज्ञात कवि 7 Comments **ज़िन्दगी ठहरी रही और उम्र आगे चल पड़ी::गज़ल** (मध्यम बहर पर) उस ख्वाब की ताबीर जब शम्म-ए-फुगन में जल पड़ी, तब ज़िन्दगी ठहरी रही और उम्र आगे चल पड़ी … [Continue Reading...]