नारी (मत्त सवैया या राधेश्यामी छंद) सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 01/09/2016 सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' 20 Comments नारी तुम! सुकुमार कुमुदुनी सौम्य स्नेह औ प्रेम प्रदाता धरती पर हो शक्ति स्वरूपा तुम रण चंडी भाग्य विधाता।। संस्कारों की शाला तुम हो तुम लक्ष्मी सावित्री सीता सत्कर्म … [Continue Reading...]