ग़ज़ल (दोस्त अपने आज सब क्यों बेगाने लगतें हैं) मदन मोहन सक्सेना 19/09/2017 मदन मोहन सक्सेना No Comments जब अपने चेहरे से नकाब हम हटाने लगतें हैंअपने चेहरे को देखकर डर जाने लगते हैंवह हर बात को मेरी क्यों दबाने लगते हैंजब हकीकत हम उनको समझाने लगते … [Continue Reading...]