धुन – डी के निवातिया डी. के. निवातिया 22/03/2018 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 14 Comments धुन @ अब जाए भी तो कहाँ जाए, बचकर बुल और बुलबुल !हर तरफ जाल बिछाया है, आखेटक ने ख़ौफ़ के तार चुन चुन !राह अब नज़र कोई आती … [Continue Reading...]