ग़ज़ल (दोस्त अपने आज सब क्यों बेगाने लगतें हैं) मदन मोहन सक्सेना 19/09/2017 मदन मोहन सक्सेना No Comments जब अपने चेहरे से नकाब हम हटाने लगतें हैंअपने चेहरे को देखकर डर जाने लगते हैंवह हर बात को मेरी क्यों दबाने लगते हैंजब हकीकत हम उनको समझाने लगते … [Continue Reading...]
दोस्त – अरूण कुमार झा बिट्टू arun kumar jha 22/07/2017 अरूण कुमार झा 'बिट्टू' 14 Comments बच्चपन के दोस्त कही जब मिल जाते हैं।दिल मे दबे भाव भी लव पे खिल जाते हैं।गम्भीरता बातो से जाने कहा जाती हैं।बच्पन की बातो मे बच्चपन लौट आती … [Continue Reading...]