देश rakesh kumar 10/04/2019 राकेश कुमार No Comments 1 कहने से कोई यूँ ही तलबगार नहीं होता शमशीर रखने से कोई पहरेदार नहीं होताफडकती हैं बाजुऐं जुनून सब जोश से बिना पसीना बहाऐ देश से प्यार नहीं … [Continue Reading...]
मुक्तक ः उत्कर्ष नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष" 06/08/2016 अज्ञात कवि 18 Comments हम आज़ादी के दीवाने है, ……. इंकलाब ही नारा है…. उतनी नही हमे जां प्यारी, …….जितना देश प्यारा है… बुरी निगाहे डालो ना तुम, ……..भारत की प्राचीरों पे.. खौला … [Continue Reading...]