सफ़र ख़त्म हो चुका – मनुराज वार्ष्णेय मनुराज वार्ष्णेय 19/01/2017 अज्ञात कवि 3 Comments सफ़र ख़त्म हो चुकारूह उसकी सो चुकी जान मेरी जा चुकीकुछ नही अब और बाकी जिंदगी नर्क हो चुकीप्यार के आसमां को झुका सफ़र ख़त्म हो चुकाशनि का ये … [Continue Reading...]
विदाई गीत : उत्कर्ष नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष" 05/08/2016 अज्ञात कवि 18 Comments शीर्षक : विदाई गीत हरे हरे कांच की चूड़ी पहन के, दुल्हन पी के संग चली है । पलकों में भर कर के आंसू, बेटी पिता से गले मिली … [Continue Reading...]