Tag: त्रिवेणी
विधा: त्रिवेणी….१.बारूद और माचिस की जरूरत नहीं….बन्दूक गोली का भी क्या करना….बस ज़ुबाँ के दो बोल काफी हैं !२.कम बोलना बहुत अच्छा है….बोलने से पहले तोलो…..नेता सब आजाद हैं …
(१)ध्वजारोहण…आन, बान, शान हर भारतीय का…राष्ट्रीय एकता.(२)वन्देमातरम…भारत की रूह की आवाज़..ज़िन्दगी को सलाम.(३)शहीदों के बलिदान से…आजाद हुआ भारत..मानसिकता से फिर क्यूँ गुलाम ?(४)स्वदेशी बने हर भारतीय दिल से…साकार हो …
(१)तन धुला मन कलुषित रहा…गंगा अपवित्र होने लगी..पंगु होती नैतिकता..(२)त्रिवेणी कहूँ या संगम मन का…रिश्ता था विश्वास,प्यार और त्याग का…आओ ढूंढें लुप्त हुई सरस्वती को !(३)पाखण्ड का बाजार गर्म …
(१)रुको, देखो, चलो…जीवन तुम्हारा है..अपनों को बेसहारा न करो.(२)धर्म, जात, ताज…कोई कीमत नहीं तुम बिन..इंसान हो तुम !(३)बजुर्गों की लाठी…धरोहर हमारी..आस्तित्व हमारा.\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)(‘त्रिवेणी’ का उदय आदरणीय गुलज़ार साहब …