तुम्हे पढ़ना नहीं आया shivdutt 12/10/2017 शिवदत्त श्रोत्रिय 10 Comments जिंदगी की क़िताब कुछ बिखरने सी लगी हैबेचने की ख़ातिर इसे मुझे मढ़ना नहीं आया ||लोग कहते है कि मुझे पत्थर गढ़ना नहीं आयातुम्हे क्या ख़ाक लिखता तुम्हे पढ़ना … [Continue Reading...]