तुम ——-(डी के निवातियाँ) डी. के. निवातिया 24/09/2016 अज्ञात कवि 30 Comments फूलो में खिलता गुलाब तुम कलि में झलका निखार तुम बागो में छाई कोई बहार तुम सितारों में चमकता चाँद तुम जवाँ हुस्न निखरा शबाब तुम बहकी अदाओं की … [Continue Reading...]
जब मैं भीग रहा था। Mahesh Rautela 14/07/2016 अज्ञात कवि 2 Comments जब मैं भीग रहा था तुम सावन बन गये थे, जब मैं खिल रहा था तुम वसंत बन गये थे, जब मैं सिसक रहा था तुम प्यार बन गये … [Continue Reading...]