ठेस — डी के निवातिया डी. के. निवातिया 13/10/2017 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 16 Comments ठेस ◊♦◊♦◊ जिसको जितना चाहा उससे उतना दूर हो गये जब-जब किया हौंसला तब-तब मज़बूर हो गये उनकी नज़रो ने हमें पत्थर से शीशा बना डाला लगी क्या … [Continue Reading...]
ठेस – मेरी शायरी……. बस तेरे लिए sarvajit singh 14/07/2016 सर्वजीत सिंह 12 Comments ठेस लबा लब भरा है दिल मेरा तेरी ही मोहब्बत से …………………………….. कहीं ठेस ना लगा देना के वो टूट के बिखर जाये ……………………………. शायर : सर्वजीत सिंह [email protected] [Continue Reading...]