**जकड़ी है::आनंद सागर ** Er Anand Sagar Pandey 15/08/2016 अज्ञात कवि 4 Comments ****जकड़ी है**** कुर्बानी से उपजी थी अब तस्वीरों में जकड़ी है, ऐ हिंद! तेरी आज़ादी सौ-सौ जंजीरों में जकड़ी है l हर मुफलिस की भूख ने इसको अपनी कैद … [Continue Reading...]