जल ही जीवन – दीपक श्रीवास्तव Deepak Srivastava 26/07/2019 अज्ञात कवि 1 Comment जल ही जीवन, जल ही जीवन।इस अमृत से चेतन तन मन॥ जल बिन रक्त नसों में कैसे?जल बिन वायु जियेगी कैसे?जल बिन तन में जीवन कैसे?जल बिन वृक्ष जिएंगे … [Continue Reading...]
ज़िन्दगी ठहरी रही और उम्र आगे चल पड़ी Er Anand Sagar Pandey 03/08/2016 अज्ञात कवि 7 Comments **ज़िन्दगी ठहरी रही और उम्र आगे चल पड़ी::गज़ल** (मध्यम बहर पर) उस ख्वाब की ताबीर जब शम्म-ए-फुगन में जल पड़ी, तब ज़िन्दगी ठहरी रही और उम्र आगे चल पड़ी … [Continue Reading...]