हैरां हूं:Er. Anand Sagar Pandey,”अनन्य देवरिया” Er Anand Sagar Pandey 12/01/2017 अज्ञात कवि 6 Comments **********हैरां हूं*********** ऐ वक्त ! तेरे बदले हुए दस्तूर पे हैरां हूं, जो जख्म हुआ नासूर उसी नासूर पे हैरां हूं l अब भी भटकता है … [Continue Reading...]