गुमसुम—डी. के. निवातिया डी. के. निवातिया 02/01/2017 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 18 Comments कुछ तो बात है जो गुमसुम हो,राज-ए-दिल कभी खोला करो,दिल ऐ हालात नही तो न सही,अपने लबो से तो कुछ बोला करो… !!!!डी. के. निवातिया [email protected] Оформить и получить … [Continue Reading...]