दर्द मुझसे मिलकर अब मुस्कराता है मदन मोहन सक्सेना 07/11/2017 मदन मोहन सक्सेना 4 Comments दर्द मुझसे मिलकर अब मुस्कराता हैबक्त कब किसका हुआ जो अब मेरा होगाबुरे बक्त को जानकर सब्र किया मैनेंकिसी को चाहतें रहना कोई गुनाह तो नहींचाहत का इज़हार न … [Continue Reading...]
गुनाह—गजल-नज्म— डी. के. निवातिया डी. के. निवातिया 02/02/2017 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 12 Comments क़त्ल न कोई गुनाह किया हमने !बस दर्द ऐ दिल बयाँ किया हमने !! जाने क्यों नुक्ताचीनी होने लगी !जरा लबो को जो हिला दिया हमने !! देखे लिये … [Continue Reading...]