ख्यालों के दरमियाँ – डी के निवातिया डी. के. निवातिया 05/05/2018 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 12 Comments ख्यालों के दरमियाँ *** टूटे-फूटे शब्दों के खंगर जोड़-जोड़ करज़ज़्बातो के पत्थरों को तोड़-तोड़ करबनाया था एक मकाँ ख्यालों के दरमियाँगुम गए उसमे सपनो की चादर ओढ़कर !! … [Continue Reading...]