Tag: कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया छंद *** मात दात्री जन्म की , पिता जीव आधार। धरा गगन के मेल से, अदभुत ये संसार।। अदभुत ये संसार, गजब कुदरत की माया। पल में बदले …
चीनी जिससे हैं डरे, करते क्या-क्या ढोंग.अभ्यासी वह वर्ग है, पावन ‘फोलुन गोंग’.पावन ‘फोलुन गोंग’, सरलतम जीवनशैली.करते योग निरोग, वैश्विक प्रतिभा फ़ैली.उन पर अत्याचार, करें आजादी छीनी.छीन बेचते अंग, …
मन गोरी का महकता, कमर मटकत नाहीं….राख गगरी सर उसने, कमर लियो मटकाए….कमर लियो मटकाए, सब ससुरा पागल भयो…होश बिसरि देखि जो, घरवाली ने धर लियो….कह ‘चन्दर’ कविराय, जो …