*हम एक ही दरिया के दो किनारे हैं:अनन्य* Er Anand Sagar Pandey 25/11/2016 अज्ञात कवि 5 Comments *हम एक ही दरिया के दो किनारे हैं:अनन्य* *”यक़ीनन कट गयी तुझ बिन ये ज़िन्दगी की सज़ा,* *मगर मत पूछ कि दिन किस तरह गुज़ारे हैं,* *मुद्दत से … [Continue Reading...]