Tag: कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय
कब तक चलेगा काम खुद को जोड़ जाड केहर रात रख देता हूँ मैं, खुद को तोड़ ताड़ के ||तन्हाइयों में भी वो मुझे तन्हा नहीं होने देताजाऊं भी …
कभी सोचता हूँ कि कभी सोचता हूँ किजिंदगी की हर साँस जिसके नाम लिख दूँवो नाम इतना गुमनाम सा क्यों है ?कभी सोचता हूँ किहर दर्द हर शिकन में, …
रौशनी में खो गयी कुछ बात जिस गली मेंवो चाँद ढूढ़ने गया जिस रात उस गली में ||आज झगड़ रहे है आपस में कुछ लुटेरेकुछ जोगी गुजरे थे एक …
कितना कुछ बदल जाता है, आधी रात को कवि: शिवदत्त श्रोत्रिय जितना भी कुछ भुलाने कादिन में प्रयास किया जाता हैअनायास ही सब एक-एक करमेरे सम्मुख चला आता हैकितना …
वो लड़का जो कभी किताबों से मोहब्बत करता थासुना है, आजकल मोहब्बत में किताबें लिख रहा हैंपहले रास्ते की किसी सड़क के किसी मोड़ परया शहर के पुराने बाज़ार …
शहर की भीड़ भाड़ से निकल करसुनसान गलियों से गुजर करएक चमकता सा भवनजहाँ से गुजरते है, अनगिनत शहर |एक प्लेटफार्म है जो हमेशा हीचलता रहता हैफिर भीवहीं है …
शाम को आने मे थोड़ी देरीहो गयी उसकोघर का माहौल बदल चुकाथा एकदमवो सहमी हुई सी डरी डरीआती है आँगन मेहर चेहरे पर देखती हैकई सवालसुबह का खुशनुमा माहौलधधक …
कैसे जान पाओगे मुझको अगर तुमने प्रेम नही कियातो कैसे जान पाओगे मुझकोकिसी को जी भरकर नही चाहाकिसी के लिए नही बहायाआँखों से नीर रात भरकिसी के लिए अपना …