Tag: कवि पियुष राज
राखधन दौलत के अभिमान मेंइंसान हो जाता है मगरूरअपने आप को बड़ा समझकरअपनो से ही हो जाता है दूरमरने के बाद धन-दौलतसब कुछ हो जाता है खाकअंत मे जिंदगी …
आई रे होली … देखो रे देखो आई रे होलीरंगों में डूबी है यारों की टोलीलगा रहे सब एक-दूजे को रंगभाभी भी खेल रहीं है भैया के संगकिसी को …
होली के रंग मोदी के संग कही उड़े रंग तो कही उड़े गुलालयूपी में साईकिल का हो गया बुरा हालसाईकिल में बैठकर राहुल ने लगा दी साईकिल में ब्रेकअखिलेश माथा …