औक़ात – डी के निवातिया डी. के. निवातिया 16/11/2019 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 2 Comments औकात ! कोई कितना भी रसूखदार क्यों न हो कोई कितना भी मालदार क्यों न हो, औक़ात खुद के लिए कफ़न की नहीं, कोई कितना भी दानदार क्यों न … [Continue Reading...]
मेरा ये हुक्म है सांसों:: आनंद सागर Er Anand Sagar Pandey 10/08/2016 अज्ञात कवि 14 Comments ताज़ा गज़ल- मेरा ये हुक्म है सांसों::Er Anand Sagar Pandey मेरा ये हुक्म है सांसों कि एहतियात रहे, वो रहे ना रहे ता-उम्र उसकी बात रहे l वो क़मर … [Continue Reading...]