एहसास-ऐ-गैर — डी के निवातिया डी. के. निवातिया 22/02/2017 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 16 Comments मुहब्बत के नाम का पाठ वो दिन रात रटता है। जरा सा छेड़ दो तो ज्वालामुखी सा फटता है।। क्या हालात हो गये आज दोस्ताना-ऐ-जहाँ के जिसे मानो अपना … [Continue Reading...]