उम्र के आईने में… Raquim Ali raquimali 13/04/2017 अज्ञात कवि 9 Comments वह सोचता है-‘मैं खूबसूरत हूँ जवान हूँ, महान हूँ’; वह सोचती है-‘मैं बेहतरीन हूँ हसीन हूँ नाज़नीन हूँ ‘।******जब,उम्र के आईने में, वे झांकते हैंनिकल पड़ती है, उफ़ लबों … [Continue Reading...]