इंसानी फितरत — डी के निवातिया डी. के. निवातिया 16/12/2017 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 16 Comments इंसानी फितरत @ अपने पराये के फेर में दुनिया रहती हैइंसानी फितरत है ये मेरी माँ कहती हैहर दुःख दर्द का इलाज़ है आत्ममंथनकहने को भावो में तो दुनिया … [Continue Reading...]