आबरू कैद है — डी के निवातिया डी. के. निवातिया 19/12/2017 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 26 Comments आबरू कैद है @ आबरू कैद है हवा के झोंको में उसे बंद ही रहने दोहो न जाए सरेआम,खुशबू तंग है, तंग ही रहने दोबिसात न पूछो आज, कौन … [Continue Reading...]