आज हम फिर बँट गए ज्यों गड्डियां हो तास की Madan Mohan Saxena 28/07/2016 मदन मोहन सक्सेना 5 Comments नरक की अंतिम जमीं तक गिर चुके हैं आज जो नापने को कह रहे , हमसे बह दूरियाँ आकाश की आज हम महफूज है क्यों दुश्मनों के बीच में … [Continue Reading...]