आज फिसल गया — डी के निवातिया डी. के. निवातिया 09/08/2017 धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ 32 Comments आज फिसल गया *** वक़्त भी अपनी चाल से आगे निकल गया भविष्य की चाहत में वर्तमान निगल गया भूत अपनी पहचान बनाने में अक्षम हुआ कल से कल … [Continue Reading...]